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✍ABOUT THE BOOK✍
कच्चे पक्के अनछुए रास्तों पर चल कर अपनी मंजिल की तलाश करने का संकल्प एक जुनूनी ही कर सकता है। अनजानी राहों पर कठिनाई और चुनौतियाँ तो आती हैं, लेकिन कहते हैं साधना सच्ची हो तो भगवान भी मिल जाते हैं। घर परिवार, सुविधा, सम्पन्नता, दोस्त, सब कुछ पीछे छोड़कर खाली हाथ परदेस जाकर अपनों को हर घड़ी याद करना, अपनों से जुड़े रहने का प्रयास करना और सूखी मिट्टी में जड़ों को जीवित रखने की कोशिश करना आसान नहीं होता। प्रयास सच्चे हों और इरादे नेक तो शक्ति भी मिल ही जाती है देर सबेर। एक पारंपरिक भारतीय नवयुवती जब अपने परिवार के साथ पति की उच्च शिक्षा के लिए यूरोप जाती है, तब आर्थिक तंगी और विदेशी चकाचौंध के बीच नई संस्कृति, नई भाषा, नई वेशभूषा और नित नये अनुभवों के साथ अपने आप को और अपने परिवार को कैसे संभालती है और कैसे सामंजस्य बिठाती है इस नए परिवेश में- इसी पर आधारित है यह पुस्तक। भारत शाकाहारियों के लिए स्वर्ग समान है। भारत से दूर जाकर भोजन भी एक चुनौती बन जाता है। एक देश जहाँ शाकाहारियों को दूसरे ग्रह का प्राणी समझा जाता हो, वहाँ विदेशियों को शाकाहार का न केवलशाब्दिक अर्थ बताना और शाकाहारी भोजन खिलाकर उसका प्रशंसक बनाना, बल्कि उस भोजन को बनाना सिखाना और उसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना जैसे अविस्मरणीय अनुभवों को भी बुनती है यह पुस्तक। प्यार की कोई भाषा, जाति, धर्म नहीं होता। जीवन की राह में अनजाने भी कब अपने बन जाते हैं पता ही नहीं चलता। सांस्कृतिक झटकों के साथ कभी रोते, कभी हँसते, कभी अपनों को याद करते, तो कभीअनजानों को गले लगाते, मन की उथल पुथल के साथ गंडोला पे हिचकोले खाते हुए विदेशी जीवन के उतार चढ़ाव की कहानी कहती है यह पुस्तक। एक मध्यमवर्गीय शुद्ध शाकाहारी देसी बाला के चार वर्ष के फ्रेंच प्रवास के कुछ ऐसे ही खट्टे मीठे अनुभवों पर आधारित है यह यात्रा वृतांत और संस्मरण– देसी एलियन।
✍शुचि✍
ISBN 13 | 9798885752176 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 168 |
Edition | First |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Biographies, Diaries & True Accounts |
Weight | 180.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 1.20 |
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✍ABOUT THE BOOK✍
कच्चे पक्के अनछुए रास्तों पर चल कर अपनी मंजिल की तलाश करने का संकल्प एक जुनूनी ही कर सकता है। अनजानी राहों पर कठिनाई और चुनौतियाँ तो आती हैं, लेकिन कहते हैं साधना सच्ची हो तो भगवान भी मिल जाते हैं। घर परिवार, सुविधा, सम्पन्नता, दोस्त, सब कुछ पीछे छोड़कर खाली हाथ परदेस जाकर अपनों को हर घड़ी याद करना, अपनों से जुड़े रहने का प्रयास करना और सूखी मिट्टी में जड़ों को जीवित रखने की कोशिश करना आसान नहीं होता। प्रयास सच्चे हों और इरादे नेक तो शक्ति भी मिल ही जाती है देर सबेर। एक पारंपरिक भारतीय नवयुवती जब अपने परिवार के साथ पति की उच्च शिक्षा के लिए यूरोप जाती है, तब आर्थिक तंगी और विदेशी चकाचौंध के बीच नई संस्कृति, नई भाषा, नई वेशभूषा और नित नये अनुभवों के साथ अपने आप को और अपने परिवार को कैसे संभालती है और कैसे सामंजस्य बिठाती है इस नए परिवेश में- इसी पर आधारित है यह पुस्तक। भारत शाकाहारियों के लिए स्वर्ग समान है। भारत से दूर जाकर भोजन भी एक चुनौती बन जाता है। एक देश जहाँ शाकाहारियों को दूसरे ग्रह का प्राणी समझा जाता हो, वहाँ विदेशियों को शाकाहार का न केवलशाब्दिक अर्थ बताना और शाकाहारी भोजन खिलाकर उसका प्रशंसक बनाना, बल्कि उस भोजन को बनाना सिखाना और उसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना जैसे अविस्मरणीय अनुभवों को भी बुनती है यह पुस्तक। प्यार की कोई भाषा, जाति, धर्म नहीं होता। जीवन की राह में अनजाने भी कब अपने बन जाते हैं पता ही नहीं चलता। सांस्कृतिक झटकों के साथ कभी रोते, कभी हँसते, कभी अपनों को याद करते, तो कभीअनजानों को गले लगाते, मन की उथल पुथल के साथ गंडोला पे हिचकोले खाते हुए विदेशी जीवन के उतार चढ़ाव की कहानी कहती है यह पुस्तक। एक मध्यमवर्गीय शुद्ध शाकाहारी देसी बाला के चार वर्ष के फ्रेंच प्रवास के कुछ ऐसे ही खट्टे मीठे अनुभवों पर आधारित है यह यात्रा वृतांत और संस्मरण– देसी एलियन।
✍शुचि✍
ISBN 13 | 9798885752176 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 168 |
Edition | First |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Biographies, Diaries & True Accounts |
Weight | 180.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 1.20 |
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Garuda International
$ 15.00

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