Achinhit Kisse: Swatantrata Ki Neev Se (Part 2)
Short Description
यह पाठ श्री अभय मराठे की पुस्तक की प्रशंसा करता है, जिसे सत्य को निर्भीकता से प्रस्तुत करने वाली महत्वपूर्ण रचना माना गया है। लेखक ने भारतीय संस्कृति और स्वाभिमान की गौरव गाथा को व्यक्त किया है, विशेषकर वामपंथी विमर्श के खिलाफ। समीक्षक ने सुझाव दिया है कि इस पुस्तक को नई शिक्षा नीति में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी सही इतिहास और मूल्य जान सके। इस प्रकार की रचनाएँ भारत की समृद्ध सभ्यता को उजागर करने में सहायक हैं।
More Information
ISBN 13 | 9798885752060 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 164 |
Edition | 2nd |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | History |
Weight | 180.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 1.00 |
Product Details
ABOUT THE BOOK:
“कुछ पुस्तकें ऐसी होती हैं, जो सत्य को बिना भय के बेलाग कह देती हैं। कुछ लेखक ऐसे होते हैं, जिनमें सत्य को सर्वोच्च बल से कह देने का सलीका होता है। संयोग से प्रस्तुत पुस्तक ऐसी ही पुस्तक है, जिसने भारत के सत्य को कहा है। इसके लेखक श्री अभय मराठे में सत्य का गहन अन्वेषण करने और उसे सटीक मारक क्षमता के साथ कह देने का साहस है।
यह पुस्तक ऐसी है, जिसे वामपंथी नैरेटिव की तथ्यपरक काट माना जा सकता है। वस्तुत: यह भारतवर्ष का दुर्भाग्य रहा है कि स्वतंत्रता के बाद सत्ता के इशारों पर ऐसे विमर्श का षड्यंत्र रचा गया, जिसने भारत को अपमानित, वैचारिक रूप से खंडित और स्वाभिमान से रहित बनाने का कुचक्र चलाया। किंतु यह भारत का सौभाग्य है कि इस राष्ट्र के पास श्री अभय मराठे जैसे लेखक भी हैं, जिन्होंने धारा के विपरीत जाकर भारत के स्वाभिमान की गौरव गाथा लिखी। भारत विरोधी सत्ता प्रतिष्ठानों की ओर से अकादमियों में नियुक्ति सहित लाभ के पदों के कई प्रस्ताव श्री मराठे को मिले होंगे, किंतु उन्होंने अपनी आर्थिक विपन्नता को अपने स्वाभिमान का सर्वोच्च आभूषण बनाया और अपने लेखक-विचारण में भारत-विचार को सर्वोच्च रखा।
यह एक ऐसी पुस्तक है, जिसके अंशों या पाठों को नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए भारत के बच्चे-बच्चे को पढ़ाया जाना चाहिए। इसमें वर्णित सत्य का भारत की अन्य भाषाओं में अनुवाद हो और इसे प्रत्येक राज्य के पाठ्यक्रम में लिया जाए, ताकि नई पीढ़ी जान सके कि छद्म क्या था और सत्य क्या है। एक संपादक होने के नाते जब-जब श्री अभय मराठे के लेखन से मेरा गुजरना हुआ, मुझे अनुभूत हुआ कि मैं भारत के अश्रुओं की संघर्षमय गाथा से गुजर रहा हूं और सामने राष्ट्र के स्वाभिमान का नया सूर्य उदित होते हुए देख रहा हूं। श्री मराठे जैसे राष्ट्रजीवी हर कालखंड में रहे हैं, तभी तो भारतवर्ष के रूप में विश्व की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता व सर्वोत्तम संस्कृति लाख घावों के बाद भी पुलकित और पल्लवित है।“
—ईश्वर शर्मा
साहित्य संपादक
नईदुनिया-दैनिक जागरण