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ABOUT THE BOOK:
अधिकतर लोग गधे को मूर्ख समझते हैं और प्रायः मूर्ख लोगों को गधे की उपाधि दे देते है। अतिशयोक्ति न माना जाये यदि मै यह कहूँ कि वे सब लोग मूर्ख हैं जो गधे को मूर्ख कहते या समझते हैं।
गधा? बहुत ही जिम्मेदार और परिश्रमी पशु है जिसकी बराबरी कोई भी पशु, यहाँ तक कि घोडा या हाथी भी नहीं कर सकते हैं।
शास्त्रों में जैसा गधों के गुणों का वर्णन किया गया है वैसा किसी पशु के गुणों का वर्णन नही किया है, क्योंकि गधे जैसे गुण किसी अन्य पशु मे हैं ही नहीं, हाँ पाशविकता भले अधिक हो सकती है! शास्त्र में लिखा है
अविश्रान्तो वहेद्भारं, शीतोष्णं चापि विन्दति।
ससंतोषस्तथा नित्यं,
त्रीणि शिक्षेत् गर्दभात्
ये जो तीन गर्दभ गुण बताये हैं वे अन्य पशुओं में तो होते ही नहीं, अधिकांश मनुष्यों में भी नहीं पाये जाते हैं, इसलिए विशेष निर्देश दिया गया है कि सफलता चाहने वाले मनुष्यों को गधे से ये तीन विशिष्ट गर्दभ गुण सीखने चाहिए। वे गुण हैं--
1- अविश्रान्तो वहेद्भारं, अर्थात बिना थके अपनी जिम्मेदारी, या पीठ पर रखे भार को ढोते रहना।
2- शीतोष्णं चापि विन्दति,
अर्थात ठन्ड या गर्मी के मौसमों में विन्दास होकर अपने काम में लगे रहना।
3- ससन्तोषस्तथा नित्यम्,
अर्थात हर स्थिति में सन्तुष्ट रहना। कभी हडताल आदि की धमकी न देना।
आगे कहागया है कि गधा के ये तीनो गुण प्रशंसनीय ही नहीं आचरणीय भी हैं। मनुष्यों को ये गुण गधा से सीखने चाहिए। जो व्यक्ति ये तीन गर्दभ गुण सीख जाता है वह गधा महान बन जाता है!
ऐसे व्यक्ति सहनशील और बिना डरे अपने मार्ग पर चलने वाले होते हैं और धूर्तता या चालाकी उनके पास भी नहीं फटकती है।
ISBN 13 | 9798885751940 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 272 |
Edition | First |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Contemporary Fiction Literature & Fiction |
Weight | 280.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
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ABOUT THE BOOK:
अधिकतर लोग गधे को मूर्ख समझते हैं और प्रायः मूर्ख लोगों को गधे की उपाधि दे देते है। अतिशयोक्ति न माना जाये यदि मै यह कहूँ कि वे सब लोग मूर्ख हैं जो गधे को मूर्ख कहते या समझते हैं।
गधा? बहुत ही जिम्मेदार और परिश्रमी पशु है जिसकी बराबरी कोई भी पशु, यहाँ तक कि घोडा या हाथी भी नहीं कर सकते हैं।
शास्त्रों में जैसा गधों के गुणों का वर्णन किया गया है वैसा किसी पशु के गुणों का वर्णन नही किया है, क्योंकि गधे जैसे गुण किसी अन्य पशु मे हैं ही नहीं, हाँ पाशविकता भले अधिक हो सकती है! शास्त्र में लिखा है
अविश्रान्तो वहेद्भारं, शीतोष्णं चापि विन्दति।
ससंतोषस्तथा नित्यं,
त्रीणि शिक्षेत् गर्दभात्
ये जो तीन गर्दभ गुण बताये हैं वे अन्य पशुओं में तो होते ही नहीं, अधिकांश मनुष्यों में भी नहीं पाये जाते हैं, इसलिए विशेष निर्देश दिया गया है कि सफलता चाहने वाले मनुष्यों को गधे से ये तीन विशिष्ट गर्दभ गुण सीखने चाहिए। वे गुण हैं--
1- अविश्रान्तो वहेद्भारं, अर्थात बिना थके अपनी जिम्मेदारी, या पीठ पर रखे भार को ढोते रहना।
2- शीतोष्णं चापि विन्दति,
अर्थात ठन्ड या गर्मी के मौसमों में विन्दास होकर अपने काम में लगे रहना।
3- ससन्तोषस्तथा नित्यम्,
अर्थात हर स्थिति में सन्तुष्ट रहना। कभी हडताल आदि की धमकी न देना।
आगे कहागया है कि गधा के ये तीनो गुण प्रशंसनीय ही नहीं आचरणीय भी हैं। मनुष्यों को ये गुण गधा से सीखने चाहिए। जो व्यक्ति ये तीन गर्दभ गुण सीख जाता है वह गधा महान बन जाता है!
ऐसे व्यक्ति सहनशील और बिना डरे अपने मार्ग पर चलने वाले होते हैं और धूर्तता या चालाकी उनके पास भी नहीं फटकती है।
ISBN 13 | 9798885751940 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 272 |
Edition | First |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Contemporary Fiction Literature & Fiction |
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Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
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Garuda International
$ 16.41
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