PAATI CHACHA
Short Description
"पाती चाचा" संजीव कुमार गंगवार का पहला कहानी संग्रह है, जो उनके लेखन के सिल्वर जुबली वर्ष में प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह में 11 कहानियां शामिल हैं, जो परिचित विषयों को नवीन दृष्टिकोण और संवेदना के साथ प्रस्तुत करती हैं। ये कहानियां आज के समय के महत्वपूर्ण मुद्दों, मानसिक पीड़ा, और यथार्थ की कथा को उकेरती हैं। मुख्य कहानी "पाती चाचा" करुणा उत्पन्न करती है, जबकि "मनोरोगी" समाज की जीवनशैली पर तीखा प्रहार करती है। "मैं जानती थी" और "लाल चुनरिया" प्रेम की गहराइयों को छूती हैं, और "सेलिब्रिटी" विज्ञापन और बाजार की सच्चाई को उजागर करती है। संजीव कुमार गंगवार की ये कहानियां अपनी सरल भाषा, रोचकता और गहरी संवेदनाओं के साथ पाठकों के मन में लंबे समय तक छाप छोड़ने में सक्षम हैं।
More Information
ISBN 13 | 9798885751872 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 168 |
Edition | First |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Literature & Fiction |
Weight | 200.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
Product Details
ABOUT THE BOOK:
" पाती चाचा " संजीव कुमार गंगवार का पहला कहानी संग्रह है। उनकी यह किताब उनके लेखन के सिल्वर जुबली वर्ष में प्रकाशित हुई है। इस कहानी संग्रह में मात्र 11 कहानियां का संग्रह किया गया है। ये कहानियां जाने पहचाने विषयों पर होकर भी एक नवीन चेतना व नवीन संवेदना का संवहन करती हैं । लगभग सभी कहानियां में हमारे आज के आधुनिक समय के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है। साथ ही वे व्यक्ति के मानसिक दुख और उसके द्वारा भोगे यथार्थ की कथा कहती हैं । मुख्य कहानी पाती चाचा के नाम पर पुस्तक का नामकरण किया गया है। यह कहानी मन में करुणा उत्पन्न करती है तो "मनोरोगी" कहानी हमारे समाज की वर्तमान जीवन शैली को उधेड़ कर रख देती है। " मैं जानती थी " और " लाल चुनरिया " प्रेम की पीर से भरी हुई कहानियां हैं । जबकि "सेलिब्रिटी" कहानी विज्ञापन और बाजार के सच को उजागर करती है। खास बात यह है कि सभी कहानियां बिल्कुल अलग - अलग और एक ताजा हवा के झोंके जैसी हैं । उनकी अन्तर्वस्तु सर्वथा नवीन और वर्तमान समस्याओं से सजी हुई है। इन कहानियां में समाहित करुणा पाठक को अंदर से झकझोर देने में सक्षम है। वे हमें सोचने को विवश करती हैं और कई अवसरों पर तो अंदर से ही छ्टपटाता हुआ छोड़ देती हैं । कहानियां की भाषा सरल , सुबोध और स्तरीय है जिसमें गज़ब की रोचकता साथ - साथ चलती है। उन्होंने अपनी कहानियां के पात्रों को उनका अपना व्यक्तित्व प्रदान किया है। बहुत से पात्र लम्बे समय तक याद रखे जाएंगे।