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ABOUT THE BOOK:
समानता और सामाजिक न्याय के अग्रदूत के रूप में वामपंथी आंदोलनों के रूमानीकरण को यह पुस्तक ध्वस्त कर देती है।
—डा. आनंद रंगनाथन; लेखक एवं वैज्ञानिकद्ध
~*~
अभिजित जोग की यह पुस्तक वामपंथ की विकृत मानसिकता, उसके अराजकतावादी, हिंसक आंदोलनों के चतुर आवरण को उजागर करती है।
—शेफाली वैद्य; लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ताद्ध
~*~
मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि यह पुस्तक वामपंथ पर अब तक का सबसे गहन और सबसे विस्तृत अध्ययन है...
—डॉ. राजीव मिश्रा; लेखकद्ध
~*~
नव-मार्क्सवाद जहाँ भारत पर निशाना साध रहा है, वहीं यह पुस्तक छिपी हुई गुप्त साजिशों का पर्दाफाश करती है।
—स्वरूप संपत रावल; अभिनेत्री और शिक्षाविद्द्ध
~*~
प्रत्येक जागरुक व्यक्ती को, जो समाज का, राष्ट्र का अथवा अपने परिवार और भावी पीढियों का हितैषी है, उसे ये पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए।
— नीरज अत्री, लेखक; ब्रेनवाश्ड रिपब्लिकद्ध
~*~
मित्रों एक प्रति लें। इसे पढें। इसके बारे में दूसरों को बताएँ।
—नीलेश ओक; लेखकद्ध
~*~
वामपंथियों से मुकाबला करने के लिए यह पुस्तक आपको सभी वैचारिक शस्त्र प्रदान करती है यह दावा मैं विश्वास के साथ कर सकता हूँ।
—आनंद राजाध्यक्ष ;लेखकद्ध
~*~~*~~*~~*~~*~
वामपंथी शक्तियों को यह समझ आने लगा था कि बंदूक के बलबूते पर रक्तरंजित क्रांति खड़ी कर विश्व भर में अपना वर्चस्व बनाना असंभव है । इसलिए उन्होंने एक नई घातक रणनीति तैयार की । इसका सीधा उद्देश्य था - पश्चिमी देशों की परिवार व्यवस्था, धर्म व्यवस्था, देशभक्ति जैसी मूलभूत शक्तियों को धीरे-धीरे खोखला कर ध्वस्त कर देना । इसके लिए उन्होंने अतिशय व्यक्तिवाद, विकृत स्त्रीवाद, खुला व्यभिचार, समलैंगिकता को बढ़ावा, इतिहास का विकृतिकरण, धर्म और संस्कृति का मजाक उड़ाना, बेवजह के स्थानांतरण को प्रोत्साहन देना, आदि शस्त्रों का इस्तेमाल शुरू किया ।
इन सब का आधार लेकर परिवार, समाज और राष्ट्र को आत्महनन की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया । अमीर विरुद्ध गरीब और आर्थिक शोषण जैसे मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों को ताक पर रखकर, वंश, लिंग और धर्म जैसे सांस्कृतिक आधारों पर, अलग-अलग समूहों में संघर्ष की आग भड़काए रखी । खास बात यह कि, अपना विध्वंसक एजेंडा चलाने के लिए उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण, महिला मुक्ति, सर्वसमावेशिता और सहिष्णुता जैसे आकर्षक मुखौटे धारण किए ।
इसके कारण उनका विरोध करना कठिन होता चला गया । इसी नवमार्क्सवाद ने, या यूं कहें कि ‘वोकिजम’ ने अपना रुख भारत की ओर कर लिया है । मूल मार्क्सवाद वाली बंदूक से आमने-सामने लड़ना शायद सरल होता । किंतु हमारे ही लोगों को बहकाकर कर, देश को खोखला कर देने वाली इस वामपंथी दीमक को रोकना वास्तव में कठिन है।
~*~~*~~*~~*~~*~
ISBN 13 | 9798885751964 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 292 |
Edition | 2nd |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Political Ideologies |
Weight | 320.00 g |
Dimension | 23.00 x 15.50 x 3.50 |
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ABOUT THE BOOK:
समानता और सामाजिक न्याय के अग्रदूत के रूप में वामपंथी आंदोलनों के रूमानीकरण को यह पुस्तक ध्वस्त कर देती है।
—डा. आनंद रंगनाथन; लेखक एवं वैज्ञानिकद्ध
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अभिजित जोग की यह पुस्तक वामपंथ की विकृत मानसिकता, उसके अराजकतावादी, हिंसक आंदोलनों के चतुर आवरण को उजागर करती है।
—शेफाली वैद्य; लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ताद्ध
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मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि यह पुस्तक वामपंथ पर अब तक का सबसे गहन और सबसे विस्तृत अध्ययन है...
—डॉ. राजीव मिश्रा; लेखकद्ध
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नव-मार्क्सवाद जहाँ भारत पर निशाना साध रहा है, वहीं यह पुस्तक छिपी हुई गुप्त साजिशों का पर्दाफाश करती है।
—स्वरूप संपत रावल; अभिनेत्री और शिक्षाविद्द्ध
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प्रत्येक जागरुक व्यक्ती को, जो समाज का, राष्ट्र का अथवा अपने परिवार और भावी पीढियों का हितैषी है, उसे ये पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए।
— नीरज अत्री, लेखक; ब्रेनवाश्ड रिपब्लिकद्ध
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मित्रों एक प्रति लें। इसे पढें। इसके बारे में दूसरों को बताएँ।
—नीलेश ओक; लेखकद्ध
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वामपंथियों से मुकाबला करने के लिए यह पुस्तक आपको सभी वैचारिक शस्त्र प्रदान करती है यह दावा मैं विश्वास के साथ कर सकता हूँ।
—आनंद राजाध्यक्ष ;लेखकद्ध
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वामपंथी शक्तियों को यह समझ आने लगा था कि बंदूक के बलबूते पर रक्तरंजित क्रांति खड़ी कर विश्व भर में अपना वर्चस्व बनाना असंभव है । इसलिए उन्होंने एक नई घातक रणनीति तैयार की । इसका सीधा उद्देश्य था - पश्चिमी देशों की परिवार व्यवस्था, धर्म व्यवस्था, देशभक्ति जैसी मूलभूत शक्तियों को धीरे-धीरे खोखला कर ध्वस्त कर देना । इसके लिए उन्होंने अतिशय व्यक्तिवाद, विकृत स्त्रीवाद, खुला व्यभिचार, समलैंगिकता को बढ़ावा, इतिहास का विकृतिकरण, धर्म और संस्कृति का मजाक उड़ाना, बेवजह के स्थानांतरण को प्रोत्साहन देना, आदि शस्त्रों का इस्तेमाल शुरू किया ।
इन सब का आधार लेकर परिवार, समाज और राष्ट्र को आत्महनन की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया । अमीर विरुद्ध गरीब और आर्थिक शोषण जैसे मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों को ताक पर रखकर, वंश, लिंग और धर्म जैसे सांस्कृतिक आधारों पर, अलग-अलग समूहों में संघर्ष की आग भड़काए रखी । खास बात यह कि, अपना विध्वंसक एजेंडा चलाने के लिए उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण, महिला मुक्ति, सर्वसमावेशिता और सहिष्णुता जैसे आकर्षक मुखौटे धारण किए ।
इसके कारण उनका विरोध करना कठिन होता चला गया । इसी नवमार्क्सवाद ने, या यूं कहें कि ‘वोकिजम’ ने अपना रुख भारत की ओर कर लिया है । मूल मार्क्सवाद वाली बंदूक से आमने-सामने लड़ना शायद सरल होता । किंतु हमारे ही लोगों को बहकाकर कर, देश को खोखला कर देने वाली इस वामपंथी दीमक को रोकना वास्तव में कठिन है।
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ISBN 13 | 9798885751964 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 292 |
Edition | 2nd |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Political Ideologies |
Weight | 320.00 g |
Dimension | 23.00 x 15.50 x 3.50 |