Krishnanshi: Praachin Bhaarat ki Avismaraniy Vismrtiyaan
Short Description
प्राचीन भारत की एक राजकुमारी– वंशिका, जिसके भीतर एक अनसुलझा खालीपन है। उसके सोलहवें जन्मदिन पर, एक अजनबी उसे एक विचित्र तोहफा भेजता है।इससे पहले कि वह समझ पाए उसे तोहफा पसंद है या नापसंद, एक दुर्घटना उसका संपर्क उसके भयानक अतीत से करवा देती है।
More Information
ISBN 13 | 9798885750905 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2023 |
Total Pages | 336 |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Thriller Feminism Literature History of Ancient India Fiction |
Weight | 339.00 g |
Dimension | 15.24 x 20.32 x 2.00 |
Product Details
वंशिका को एक ऐसी दुनिया सपनों में दिखती है जो न जाने कितने युगों पहले अतीत हो चुकी! इन दृश्यों की पृष्ठभूमि में प्राचीन भारत का ऐसा चित्र उसे दिखता है जिसके अंश वर्तमान में उपलब्ध इतिहास से मिटा दिये गए हैं...
ये कहानी है प्राचीन भारत की, उस समय की एक राजकुमारी की; जो आज के समय में फिर से जन्मी है! वंशिका के भीतर एक अनसुलझा खालीपन है। उसके अस्तित्व के आधे भाग-सा कोई... जो केवल सपनों में दिखता है। फिर, सोलहवें जन्मदिन पर, एक अजनबी उसे एक विचित्र तोहफा भेजता है।
इससे पहले कि वह समझ पाए उसे तोहफा पसंद है या नापसंद, एक दुर्घटना उसका संपर्क उसके भयानक अतीत से करवा देती है। वह अतीत जो उसे युगों से, बेचैनी से ढूँढ रहा है! उस रात प्रारब्ध उसे एक ऐसे अज्ञात लक्ष्य की दौड़ में धकेल देता है जहाँ से मुड़ने का विकल्प नहीं; क्योंकि उसके पैरों को सतत भगा रहे हैं— एक विकराल तांत्रिक के भेजे अमानुषी हत्यारे, रहस्यमयी टेक्नोलोजी युक्त हथियारों वाले योद्धा, एक नकाबपोश जो उसका रक्षक होने का दावा करता है, अतीन्द्रीय शक्तियों वाले ऋषियों का संघ जो उस अस्पष्ट लक्ष्य के लिये उसे तैयार करने का प्रस्ताव रखता है! कॉलेज और गुरुकुल के बीच की उसकी यह दौड़भाग कठिनाइयों, रोमांस, हास्य और खतरों भरी होती है।
'कृष्णांशी' क्यों पढ़ें ?
प्राचीन भारत के सूर्य से चमचमाते इतिहास और अतिविकसित विज्ञान के बहुत से अद्भुत तथ्य ऐसे हैं, जिन्हें मुख्यधारा के इतिहासकार नहीं मानते। इस अन्यायपूर्ण उपेक्षा के कारण हममें से अधिकतर इनसे अनजान हैं।
इनमें से चंद तथ्य भी पढ़कर यह एहसास होता है कि हम भारत के सच्चे ऐतिहासिक चेहरे को कुछ भी नहीं जानते— दशमांश भी नहीं!
हमारे स्वर्णिम इतिहास पर अनेकों ग्रंथ उपलब्ध हैं; अधिकतर का स्वरूप ‘अकैडमिक’ है और ये सामान्य पाठकों के लिए रुचिकर नहीं हैं।
यह उपन्यास हमारे इतिहास को रुचिकर ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास है— साहित्य क्षेत्र में एक नया प्रयोग है, दो शैलियों के मिश्रण का दुस्साहस है— तथ्यात्मक रिसर्च और मज़ेदार कहानी कहती उपन्यास शैली का...