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Naxalwaad
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छात्र राजनीति के दौरान साम्यवादी साहित्य पढ कऱ और साम्यवादी चरित्र से बखूबी परिचित होने के अतिरिक्त, आपने गया जिले की नक्सलवाद-बनाम-उच्चवर्ग की रणवीर सेना के बीच खूनी नरसंहार की घटना को बहुत नजदीक से देखा है। 2001 में लेखकद्वय ने बिहार के नक्सलवादी जातीय संघर्ष (रणवीर सेना बनाम दलित आदिवासी सेना) को ऋषीकेश में गुरूदेव द्वारा संघर्ष विराम करवाते देखा। 2001 के बाद नक्सलवादी जातीय सामूहिक नरसंहार खत्म हुए, किंतु 2004 में भा.क.पा. (माओवादी) का गठन होने के बाद नक्सलवादी बनाम सरकार के सशस्त्र बल के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया। फिर गुरूदेव के संकल्प से 2009 से नक्सलवादियों की इस सशस्त्र खूनी क्रांति का पटाक्षेप होते हुए भी देखा है। कई रोचक एवं चुनौतीपूर्ण घटनाक्रमों से दो-चार होते हुए, जिसके दौरान उन्हें न सिर्फ गुरूदेव के संकल्प का दर्शन हुआ और उनका र्मागदर्शन प्राप्त हुआ बल्कि झारखण्ड सरकार के गृहसचिव, प्रमुख सचिव एवं पुलिस मुख्यालय का भी सहयोग मिला, लेखकद्वय ये मानते है कि गुरूदेव के इस अभियान में उन्होंने भी अपनी गरिमा की सीमा रेखा को पार करते हुए अभियान के निमित्त बने। बकौल सुशीला जी, ’गुरूदेव ने हमें नक्सलवादी बना दिया’। सम्प्रति, गुरूदेव के निर्देश पर श्री सिंह PUCL (People,s Union for Civil Liberties. ) के साथ भा.क.पा. (माओवादी) को वार्ता की मेज पर लाने को प्रयासरत है, ताकि माओवादी विचारधारा का भी अंत हो जाए।

Product Details
ISBN 13 9798885751780
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2024
Total Pages 328
Edition First
Publishers Garuda Prakashan  
Category Biographies, Diaries & True Accounts  
Weight 345.00 g
Dimension 15.50 x 23.00 x 2.50

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छात्र राजनीति के दौरान साम्यवादी साहित्य पढ कऱ और साम्यवादी चरित्र से बखूबी परिचित होने के अतिरिक्त, आपने गया जिले की नक्सलवाद-बनाम-उच्चवर्ग की रणवीर सेना के बीच खूनी नरसंहार की घटना को बहुत नजदीक से देखा है। 2001 में लेखकद्वय ने बिहार के नक्सलवादी जातीय संघर्ष (रणवीर सेना बनाम दलित आदिवासी सेना) को ऋषीकेश में गुरूदेव द्वारा संघर्ष विराम करवाते देखा। 2001 के बाद नक्सलवादी जातीय सामूहिक नरसंहार खत्म हुए, किंतु 2004 में भा.क.पा. (माओवादी) का गठन होने के बाद नक्सलवादी बनाम सरकार के सशस्त्र बल के बीच खूनी संघर्ष शुरू हो गया। फिर गुरूदेव के संकल्प से 2009 से नक्सलवादियों की इस सशस्त्र खूनी क्रांति का पटाक्षेप होते हुए भी देखा है। कई रोचक एवं चुनौतीपूर्ण घटनाक्रमों से दो-चार होते हुए, जिसके दौरान उन्हें न सिर्फ गुरूदेव के संकल्प का दर्शन हुआ और उनका र्मागदर्शन प्राप्त हुआ बल्कि झारखण्ड सरकार के गृहसचिव, प्रमुख सचिव एवं पुलिस मुख्यालय का भी सहयोग मिला, लेखकद्वय ये मानते है कि गुरूदेव के इस अभियान में उन्होंने भी अपनी गरिमा की सीमा रेखा को पार करते हुए अभियान के निमित्त बने। बकौल सुशीला जी, ’गुरूदेव ने हमें नक्सलवादी बना दिया’। सम्प्रति, गुरूदेव के निर्देश पर श्री सिंह PUCL (People,s Union for Civil Liberties. ) के साथ भा.क.पा. (माओवादी) को वार्ता की मेज पर लाने को प्रयासरत है, ताकि माओवादी विचारधारा का भी अंत हो जाए।

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by   Brijesh Singh (Author),   Sushila Singh (Author)  
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