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यह पुस्तक सन 2001 के दौर में चौबीस घंटे के चैनलों की शुरुआत के बाद भारतीय पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को समझने का एक प्रयास है!लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की जिम्मेदारी क्या रही है और एजेंडा के तहत पत्रकारिता के जुनून में क्या जिम्मेदारी निभाई गई है यह किताब उसी पर एक तथात्मक रिपोर्ट है! सोशल मीडिया के दौर में मेनस्ट्रीम मीडिया कहाँ है और उसके लिए चुनौती क्या है? इन चुनौतियों के सामने उसने संघर्ष किया या समर्पण! इस पर चर्चा जरुरी है!पत्रकारिता के छात्र के लिए यह समझना जरुरी है कि पत्रकारिता के इतिहास को जानकर उसके वर्तमान से आँखें नहीं मूंदी जा सकती है.
ISBN 13 | 9798885751162 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Total Pages | 248 |
Edition | First |
Release Year | 2023 |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Non-Fiction |
Weight | 250.00 g |
Dimension | 13.97 x 21.59 x 1.48 |
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यह पुस्तक सन 2001 के दौर में चौबीस घंटे के चैनलों की शुरुआत के बाद भारतीय पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को समझने का एक प्रयास है!लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की जिम्मेदारी क्या रही है और एजेंडा के तहत पत्रकारिता के जुनून में क्या जिम्मेदारी निभाई गई है यह किताब उसी पर एक तथात्मक रिपोर्ट है! सोशल मीडिया के दौर में मेनस्ट्रीम मीडिया कहाँ है और उसके लिए चुनौती क्या है? इन चुनौतियों के सामने उसने संघर्ष किया या समर्पण! इस पर चर्चा जरुरी है!पत्रकारिता के छात्र के लिए यह समझना जरुरी है कि पत्रकारिता के इतिहास को जानकर उसके वर्तमान से आँखें नहीं मूंदी जा सकती है.
ISBN 13 | 9798885751162 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Total Pages | 248 |
Edition | First |
Release Year | 2023 |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Non-Fiction |
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Garuda International
$ 19.00

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