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Achinhit Kisse: Swatantrata Ki Neev Se (Part 1)

Achinhit Kisse: Swatantrata Ki Neev Se (Part 1)

by   Abhay Vasant Marathe (Author)  
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Short Description

इस पुस्तक में अचीन्हे क्रांतिकारियों के किस्सों को इतने मार्मिक ढंग से लिखा गया है कि पढ़ते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं, मुट्ठियां तन जाती हैं और मन करता है कि अभी इतिहास में पीछे जाकर उन महान क्रांतिकारियों के साथ खड़ा हुआ आज तथा उन षड्यंत्रकारियों की दुरभिसंधियों को बेनकाब किया जाए, जिनके कारण हमारे बलिदानियों को इतिहास से विलोपित किया गया।
यह पुस्तक ऐसी है, जिसका पाठ भारतवर्ष के हर चौराहे पर किया जाना चाहिए तथा इसके महत्वपूर्ण हिस्सों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।ऐसा करने पर ही नई पीढ़ी को इस बात की अनुभूति होगी कि वे आज भारत में स्वतंत्रता का जो आनंद भोग रहे हैं, उसे कौन लोग अपना रक्त देकर लाए थे। यही उन अचीन्हे क्रांतिकारियों के प्रति सच्ची और विनम्र श्रद्धांजलि होगी।

More Information

ISBN 13 9798885751230
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 180
Release Year 2023
Publishers Garuda Prakashan  
Category Politics   History  
Weight 160.00 g
Dimension 13.97 x 21.59 x 1.08

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Product Details

ओ उठो क्रांतिकारियो...जैसी कालजयी और महत्वपूर्ण पुस्तक लिखने वाले श्री अभय मराठे का लेखन महान भारतवर्ष के उन क्रांतिकारियों को सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इस राष्ट्र के स्वाभिमान के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारत की स्वतंत्रता के लिए अलग-अलग कालखंड में, अलग-अलग तरह के युद्ध लड़ने वाले क्रांतिकारियों ने जो त्याग किया, उसी का सुपरिणाम है कि आज भारतवर्ष इस संसार के सबसे आनंद से भरे देशों में से एक है।
किंतु एक सत्य यह है कि उन बलिदानी क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता के बाद षड्यंत्रपूर्वक भुलाने का प्रयास किया गया। वर्ष 1947 में भारत ने लड़कर जो स्वतंत्रता अर्जित की, उस स्वतंत्रता में अपने रक्त, मज्जा, प्राण की आहुति देने वाले बलिदानियों को जानबूझकर भुला दिया गया। आजादी के बाद की सरकारों ने पाठ्यक्रमों से, सार्वजनिक महत्व के स्थलों से और लोगों के दिलों से भी उन बलिदानियों की स्मृतियों को मिटाने का काम किया। इस षड्यंत्र के कारण उन महान बलिदानियों को मानो दो बार मरना पड़ा, पहली बार तो वे अंग्रेजों या देशविरोधी लोगों के कारण वीरगति को प्राप्त हुए और दूसरी बार देश द्वारा भुला दिए जाने के कारण मानो फिर से मृत्यु को प्राप्त हुए। राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक षड्यंत्र इतना गहरा था कि भारत को आजादी दिलाने का सारा श्रेय केवल और केवल उस खेमे को दे दिया गया, जिस खेमे के लोगों ने अंग्रेजों से दुरभिसंधियां की थीं और जेलों में भी मौज उड़ाई थी। इसके उलट जेलों में यातना सहने वाले, फांसी पर चढ़ जाने वाले और तोपों के मुंह पर बांधकर मृत्युदंड पाने वाले क्रांतिकारियों का उल्लेख तक नहीं हुआ। जबकि वे लड़े थे और उनकी लड़ाई के कारण ही भारत से अंग्रेजों के पांव उखड़े थे।
बहरहाल, इन्हीं अचीन्हे क्रांतिकारियों को अब जन-जन तक पहुंचाने का भगीरथी प्रयास श्री अभय मराठे कर रहे हैं। पहले उन्होंने पुस्तक ओ उठो क्रांतिवीरो लिखकर श्रद्धांजलि-यज्ञ प्रज्वलित किया और अब उसमें अचीन्हे क्रांतिकारियों के किस्सों की मंगल-आहुति दे रहे हैं। यह उस षड्यंत्र के विरुद्ध एक साहसिक आवाज है, जो षड्यंत्र स्वतंत्रता के बाद से कई दशकों तक देश की सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल और उसके नीति-निर्धारकों ने क्रांतिकारियों के साथ किया था। श्री अभय मराठे की यह पुस्तक वैचारिक अंधकार में क्रांतिकारियों के गौरव की एक प्रज्वलित मशाल है, जो आने वाली पीढ़ियों के मन से कुहासा और अंधेरा खत्म करेगी और उन्हें हमारे क्रांतिकारियों की गर्व व बलिदान से भरी कहानियां सुनाएगी।

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